राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती विशेष – 'समर शेष है'

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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती विशेष - 'समर शेष है'

वर्तमान परिवेश में जब देश की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है; ऐसे समय में एक बार फिर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को याद करना न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी की सामाजिक और राजनीतिक चेतना और विमर्श को नई दिशा दिखाने के लिए अहम हो सकता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक संदेश भी होगा. “महाभारत” के ‘शांति पर्व’ का कविता रूप ‘कुरुक्षेत्र’ का लेखक, ओजस्वी कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव (तब के मुंगेर जिला में) 23 सितंबर, 1908 को हुआ था.

वर्तमान परिवेश में जब देश की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है; ऐसे समय में एक बार फिर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को याद करना न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी की सामाजिक और राजनीतिक चेतना और विमर्श को नई दिशा दिखाने के लिए अहम हो सकता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक संदेश भी होगा. “महाभारत” के ‘शांति पर्व’ का कविता रूप ‘कुरुक्षेत्र’ का लेखक, ओजस्वी कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव (तब के मुंगेर जिला में) 23 सितंबर, 1908 को हुआ था. 

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