इक दूसरे के हमसफ़र, मैं और मिरी आवारगी : जावेद अख़्तर

जावेद अख़्तर का नाम किसी के लिए भी नया नहीं है. बात साहित्य की हो, गज़लों की हो या फिल्मी गीतों की हो, जावेद साहब ने अपने शब्दों के जादू से हर ज़र्रे को महकाया है. उनकी गज़लों का जादू दशकों से गज़ल प्रेमियों के दिलों पर राज़ कर रहा है. उन्हें पढ़ते हुए हमेशा यह गहरे से महसूस होता है, कि जैसे किसी ने मन की बात को शब्द दे दिए हों, किसी ने दिल के दर्द को आवाज़ दे दी हो. प्रस्तुत हैं जावेद साहब के लोकप्रिय ग़ज़ल संग्रह ‘तरकश’ से पांच चुनिंदा ग़ज़लें, जिनकी ताज़गी कभी फिकी नहीं पड़ती, सालों बाद भी ये ग़ज़लें वही खुशबू लिए महकती हैं.
जावेद अख़्तर का नाम किसी के लिए भी नया नहीं है. बात साहित्य की हो, गज़लों की हो या फिल्मी गीतों की हो, जावेद साहब ने अपने शब्दों के जादू से हर ज़र्रे को महकाया है. उनकी गज़लों का जादू दशकों से गज़ल प्रेमियों के दिलों पर राज़ कर रहा है. उन्हें पढ़ते हुए हमेशा यह गहरे से महसूस होता है, कि जैसे किसी ने मन की बात को शब्द दे दिए हों, किसी ने दिल के दर्द को आवाज़ दे दी हो. प्रस्तुत हैं जावेद साहब के लोकप्रिय ग़ज़ल संग्रह ‘तरकश’ से पांच चुनिंदा ग़ज़लें, जिनकी ताज़गी कभी फिकी नहीं पड़ती, सालों बाद भी ये ग़ज़लें वही खुशबू लिए महकती हैं.